भारत ने रूस से सस्ता तेल लिया, अमेरिका ने भेजा टैरिफ का बिल!

अमित मित्तल (पेट्रोलियम एंड आयल एक्सपर्ट)
अमित मित्तल (पेट्रोलियम एंड आयल एक्सपर्ट)

अमेरिका की ओर से भारत को कड़ी चेतावनी मिली है—रूस से तेल खरीदते रहे, तो जेब खाली करवा देंगे। अमेरिकी सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने सीधे-सीधे कहा, अगर भारत और चीन ने रूस से तेल-गैस खरीदना जारी रखा, तो 500% तक टैरिफ झेलने को तैयार रहें।

जिलाध्यक्ष नहीं, परिवार का मोहरा चाहिए भाजपा नेताओं को?

वाह अमेरिका! खुद तो सालों तक ‘फ्री ट्रेड’ का झंडा उठाया, अब जब खेल आपके खिलाफ हो गया तो “अगर तुम नहीं झुकोगे तो हम टैरिफ तोड़ देंगे।”

ब्लूमेंथल बोले कीव से, दिल्ली में हलचल

सीनेटर ब्लूमेंथल का बयान यूक्रेन की राजधानी कीव से आया—राजनीतिक संदेश साफ था। जो देश रूस को ऊर्जा देकर आर्थिक ऑक्सीजन दे रहे हैं, उन्हें कीमत चुकानी होगी।

उन्होंने दावा किया कि भारत और चीन मिलकर रूस के 70% तेल का आयात कर रहे हैं। और अब वह और उनके साथी सीनेटर लिंडसे ग्राहम एक विधेयक ला रहे हैं, जिसमें रूस से ऊर्जा खरीदने वाले देशों पर अत्यधिक टैरिफ लगाने की सिफारिश की गई है।

भारत की दो नावों की सवारी

जैसे ही अमेरिका धमकी देता है, रूस दूसरी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाता है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने RIC (Russia-India-China) त्रिपक्षीय समूह को फिर से जीवित करने की वकालत की है।

2020 में गलवान संघर्ष के बाद RIC बंद हो गया था। अब रूस मानता है कि भारत और चीन के संबंध कुछ सामान्य हुए हैं, तो मंच को फिर से जिंदा किया जा सकता है।

क्या यह कोशिश भारत को QUAD से दूर खींचने की है? बहुत संभव है।

भारत की रणनीति: “ना उधर के रहें, ना इधर के”

भारत फिलहाल कूटनीति की ‘हाई वायर एक्ट’ पर चल रहा है। एक तरफ अमेरिका का दबाव, दूसरी ओर रूस से पुराना सैन्य और ऊर्जा सहयोग। ऊर्जा ज़रूरतें इतनी हैं कि रूस से सस्ता तेल लेना, भारत के लिए महज रणनीति नहीं, राष्ट्रीय ज़रूरत बन चुका है।

भारत की नीति स्पष्ट रही है—रणनीतिक स्वतंत्रता। जो सही हो, वही करें, चाहे वॉशिंगटन नाखुश हो या मास्को।

अमेरिकी विधेयक: व्यापार या दबाव की राजनीति?

यह नया विधेयक न केवल रूस पर दबाव है, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से भारत-चीन जैसे देशों को ‘लाइन में लाने’ का हथियार भी है। मज़े की बात यह है कि अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम खरीदता है, और दूसरों को नैतिकता का पाठ पढ़ाता है।

Denim में धमाल! फैब्रिक से मार्केटिंग तक – स्टार्टअप का स्टाइलिश तड़का

भारत झुकेगा नहीं, लेकिन झुंझलाएगा भी नहीं

भारत ने अतीत में भी अमेरिका के “Do More” कहने पर “We’ll do what suits us” कह कर काम चलाया है।
रूस के साथ संबंध खत्म नहीं किए, बल्कि सस्ते तेल से चालाकी से अर्थव्यवस्था की गाड़ी चलाई।

अब सवाल ये है कि क्या भारत RIC की ओर झुकेगा? शायद नहीं, लेकिन QUAD से भी पूरी तरह बंधा नहीं दिखेगा। भारत की नीति है—“दूरी बनाकर भी निकट रहो”।

Related posts